पता नहीं कहां से शुरू करूं … लेकिन शुरू तो करना ही होगा …. जब बात सभी के भले और कल्याण की हो … तो कहीं से भी … कभी भी शुरू करें …. मायने नहीं रखती है … बल्कि मायने तो यह रखता है … कि क्या जो भी शुरू किया जा रहा है … उसमें सभी का भला… और कल्याण निहीत है … अगर जवाब हाॅं में है … तो फिर इसे कभी भी … कहीं से भी शरू किया जा सकता है … और मेरी सोच में शुरूआत करना ही … अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है … खासकर जब आपके मन में शुरूआत करने का लेकर द्वंद्व या शुरूआत को टालने वाली उटाफटक चल रही हो … खैर जो भी हो …. मैं तो शुरूआत करता हूँ….
दोस्तों अगर मैं आपसे एक सवाल पूछूं कि थोड़े समय की खुशी या लम्बे समय के लिये सुकुन मिलने वाला हो … तो आप अपने लिये क्या चुनना पसंद करेगें …. जाहिर सी बात है … चयन का अधिकार सदैव हमारे पास सर्वदा सुरक्षित है ….. हमारे में से ज्यादातार थोड़े समय के लिये खुशी को चुनेंगे … क्योकि बाद का क्या पता… भविष्य के बारे में कौन सटीक अंदाजा लगा सकता है … जबकि चलन तो यूज एंड थ्रो … प्रयोग/उपयोग में लो और छोड़ दो, का है … सम्भतः हम में से कुछ बुद्विजीवी दोनों को चुनना चाहेंगे … क्योंकि उन्हें अपने दिमाग/बुद्वि पर बहुत ज्यादा यकीन है …. लेकिन मेरे दोस्तों सचमुच मेरा यकीन किजिये … अगर हम सचमुच लम्बे समय के लिये सुकुन को चुनना चाहते हैं …. तो मैं आपको आगे जो बताने जा रहा हॅूं … उसे चुनना, बिल्कुल भी घाटे का सौदा नहीं होगा … मुझे माफ करियेगा दोस्तों मैं यहां आपको नफे-नुकसान के चक्रव्यूह में या इसके फेरे में हरगिज उलझाना नहीं चाहता हॅूं …
तो फिर आप सोचेंगे आखिर मैं क्या कहना चाहता हॅूं ….. दोस्तों मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हॅूं … कि हमें सिर्फ और सिर्फ शुरूआत भर करनी है… दो सरल शब्दों या भावों के साथ … ये ऐसे भाव या शब्द हैं … जिनका आयाम अनन्त है …. अगर आप चाहें तो …. इन शब्दों को भावों को … अपनी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा बना सकते हैं …. और वो शब्द या भाव हैं … आभार एवं कृतज्ञता … जब भी आपको अवसर मिले … आपको इन्हें प्रकट करते रहना होता है …. अभी इस लेख को लिखते समय, मेरी जननी… मेरी परम आदरणीय माँ ने मुझे अर्जुन की छाल की चाय बनाकर दी है …. और मैं उनका आभार प्रकट करता हॅूं … उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं कि इतनी अलसुबह उन्होनें मेरे अच्छे स्वास्थ्य के लिये ये कार्य किया … वैसे तो वो मेरे जन्म से ही यह सब अनमोल और अत्यंत महत्वपूर्ण काम अपने निश्छल प्रेम … मेरे लिये अपनी ममता के वशीभूत हो …. बिना किसी शर्त के … बिना किसी स्वार्थ व शिकायत के करती आ रही हैं … उस सब के लिये भी मै उनके प्रति अपना आभार एवं कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं …. और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हॅूं कि वे सदैव स्वस्थ रहें … और उनका आशीष सदैव हम पर बना रहे …. इसके साथ ही … मैं उस मग (कप) के प्रति भी अपना आभार एवं कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं … जिसने इस अर्जुन की छाल की चाय को संभाला हुआ है …. और मैं अर्जुन की छाल की यह चाय … जिसे मैं पीने जा रहा हॅू, उसके प्रति भी अपना आभार और कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं कि वो मेरे अच्छे स्वास्थ्य के लिये मेरा साथ देने जा रही है … और इन सब बातों के लिये मैं परमात्मा के प्रति अपना आभार एवं कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं … क्योंकि कण-कण में वे ही व्याप्त है … चाहे फिर मेरी माॅं हो … आप हों … ये चाय का मग हो … अर्जुन की छाल हो या फिर मैं स्वयं (जो कि मैं अपने मूल से) भी हॅूं ….
अब आप सोचेंगे कि मै ये क्या कर रहा हॅूं … और क्या कहने जा रहा हॅूं … दोस्तों शुरूआत करनी थी ना … यहीं से कर ली …. पर जो महत्वपूर्ण है वो है … निरन्तर आभार एवं कृतज्ञता के भाव को सह्नदय पूर्वक … अपने मन से प्रकट करते रहना … अगर यकीन ना हो तो आप भी करके देखियेगा … जिन्दंगी में आमूल-चूल बदलाव एक-बाद एक स्वतः ही आते चले जायेंगे । हर वो … जो कोई भी … आपका जितने भी समय साथ दे रहा है … आपका साथ निभा रहा है … उस सबके प्रति अपना आभार एवं कृतज्ञता प्रकट करते रहिये … क्योकि मेरा ये मानना है कि … और कुछ महत्वपूर्ण हो ना हो … वो जो कोई भी हमारा साथ दे रहा है … निभा रहा है… तो फिर उसका … हमारे लिए साथ निभाना महत्वपूर्ण होता है … ये साथ उस परमात्मा … ईश्वर की ईच्छा से ही तो सम्भव हो पाता है … क्योकि जब हम … चाहे वो सजीव हो या निर्जीव … जिसके प्रति भी अपना आभार … अपनी कृतज्ञता प्रकट करते है तो … हमारे द्वारा प्रकट किये जाने वाला वो आभार … हमारी वो कृतज्ञता … हमें उस सजीव या निर्जीव के माध्यम से परमात्मा से जोड़ती है … सही मायनों में कनेक्ट करती है … और अगर ये आदत बन जाती है … तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये आभार और कृतज्ञता प्रकट करने की आदत हमें हर समय परमात्मा से जोड़े रखेगी … और उससे जुड़ना जिसका अंश हम सभी में व्याप्त है … हमें सच्ची खुशी और हमारे जीवनकाल के दौरान लम्बे सुकुन का अहसास करता रहेगा … अब बताईये इससे ज्यादा महत्वपूर्ण और सुखद क्या हो सकता है …
आप अपना … अपने परिवार व स्नेहीजनों का अच्छे से ख्याल रखियेगा … आप सभी को अच्छे स्वास्थ्य… आरोग्यता … व निरंतर उन्न्ति व सम्पन्नता की और अग्रसर होने की शुभकामनाओं के साथ …
और हां मुझे ये कहने में कोई हिचक नहीं है कि … इस अच्छे स्वास्थ्य … आरोग्यता… व निरंतर उन्नति व सम्पन्नता का राज … आभार व कृतज्ञता के प्रकटीकरण में ही छुपा हुआ है … तो दोस्तों इसमें बिल्कुल भी कंजुसी मत कीजियेगा ….
मेरे इस ब्लॉग को … इस लेख को … धैर्य के साथ पढ़ने के लिये … आपने मेरा साथ दिया है … और मैं आपके इस साथ में ईश्वर की उपस्थिति को … उस परमात्मा की अनुंभूति को … अनुभव… महसूस कर पाने मे स्वयं को समर्थ पाता हूँ … मैं आप सभी का सह्नदय पूर्वक आभार प्रकट करते हुए … आपके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हॅूं ….
खुशियों भरी बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ धन्यवाद …।
शेष आगे के ब्लाॅग में ….
आपका : मनु