ईश्वर का सानिध्य … ईश्वर का साथ…!!

शायद हो सकता है कि आपको मेरी ये सब बातें बेमानी लगे … लगनी भी चाहिये … आजकल की इस भागती दौड़ती दुनियाँ में … जिंदगी में … इन सब बातों के लिये जगह ही कहाँ बची है …. और ऐसे में फिर जब हमारी सोच और हमारे विश्वास का दायरा … भौतिकवाद … उपभोक्तावाद की बेड़ियों में दिन ब दिन जकड़ता जा रहा है … मेरा मानना है कि … इस सब के बावजूद भी … हम सबकी के जिंदगी में एक न एक दिन ऐसा आता ही है … जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि… ये भाग दौड़… ये चकाचौंध … ये रिश्ते-नाते…अपने-पराये…. उठापठक … किसलिये या किसके लिये … मै यहाँ आपको आपकी मूलभूत जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ने के लिये नही कह रहा हूँ … लेकिन हमेशा से ही हम इन जिम्मेदारियों की आड. मेे… इन्हें निभाने की दुहाई देकर… इन जिम्मेदारियों के बंधन में खुद को बंधा हुआ बताकर… इन्हें निभाने के लिये … कभी ना खत्म होने वाली मेराथन दौड़ को दौड़े-चले जा रहे है. … क्या सही … और क्या गलत बस … हर दिन खुद को साबित करने के लिये …अपनी और दुनियाँ की नजरों में बेस्ट देने के लिये… अंधाधुन्ध दौड़े चले जा रहे हैं … ईश्वर के लिये तो क्या शायद खुद के लिये भी समय नहीं है …

मैं यह तो नहीं कहता कि … आप रोज ईश्वर को याद नहीं करते … उससे कनेक्ट नहीं होते … आप होते हैं … लेकिन उतनी गहनता और गहराई के साथ नहीं … जैसे की आपको होना चाहिये … अब आप बोलना चाहेंगे की ईश्वर से जुड़ने के लिये तो दो मिनट तो क्या दो पल ही बहुत है… आप सही कह रहे है … सही सोच रहे हैं … लेकिन मैं आपसे जानना चाहूँगा … कि क्या सचमुच ऐसा है … जब आप अपनी रोज की दौड़भाग भरी जिन्दगी में ईश्वर को याद करते है … तो क्या आप पूरी तरह उससे कनेक्ट कर पाते हैं … अगर आप का जवाब हां में है … तो क्या आप मुझे यह बता पायेंगे … कि ये ईश्वर के साथ … आपका ये वाला रोज का कनेक्शन …. क्या वो सुकून … वो शांति … आपको दे पाता है … जो आपको चाहिये … जिसकी आपको सचमुच जरूरत है …. या जैसा आपने कभी किसी खास जगह … किसी मंदिर में या किसी प्राकृतिक रमणीय स्थल पर … प्रकृति के करीब जाकर …या किसी व्यक्ति विशेष से मिलने पर महसूस किया था … जी हां मै उसी सुकून की बात कर रहा हॅूं … जो आपके दिल के एक हिस्से में … दिमाग के एक कोने में … एक कभी ना भुलायी जा सकने वाली याद के रूप में अपनी जगह बना चुका है… और आप जब भी उस बिताये हुए हर उस महत्वपूर्ण पल को एक-एक करके … याद करते हैं … तो आप तरोताजा हो जाते हैं … ऐसा क्यों …? वो इसलिये क्योंकि आपने समय के … अपने जीवन के उस हिस्से को पूरी तरह जिया था … आप उस पल में पूरी तरह वहां थे … उस सब के साथ कनेक्ट थे … इस भागती दौड़ती जिदंगी से दूर …

मै बस इतनाभर चाहता हॅूं कि … आप जब भी ईश्वर से कनेक्ट हों … भले ही हर रोज दो पल … या दो मिनट के लिये … तो उतनी ही तीव्रता … उतनी ही गहनता … गहराई के साथ कनेक्ट हों … जैसे की आप अपनी जिदंगी के बिताए हुए उन खूबसूरत पलों में हुए थे … जो कि आज आपकी यादों में सिमटे हुए है … छुपे हुए हैं …. और ये आप द्वारा महसूस किये जाने पर …… आपको सुकून और मन की शांति प्रदान करते हैं … शायद यही … माफ किजियेगा …… शायद नहीं बल्कि … यकीनी तौर पर ईश्वर के सानिध्य को पाने का यह ही एकमात्र तरीका है …. क्या आप ईश्वर के सानिध्य को … उसके साथ को …. सचमुच में महसूस करना चाहेंगे …

शेष … आगे के ब्लॉग में ….

आपका …
मनु

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Vikrant Singh Panwar
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